वैदिक पंचांग और आपका आज… श्राद्ध आज से
~ वैदिक पंचांग ~*
पंचांग ज्योतिषी पूनम गौड़ के अनुसार कैसे शुभ होगा?
जानिए वैदिक पंचांग से तरीके और उपाय। (श्राद्ध शुरू)

सेलीब्रिटी ज्योतिष पूनम गौड़
दिनांक – 29 सितम्बर 2023 (श्राद्ध पक्ष)
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पूर्णिमा 15:26 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – उत्तराभाद्रपदा 23:18 तक तत्पश्चात रेवती
योग – वृद्धि 20:03 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहुकाल – 10:00 से 11:30 बजे तक
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सूर्योदय – 06:13
सूर्यास्त – 18:10
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
पंचक – अहोरात्रि
सर्वार्थ सिद्धि योग – 23:18 से 06:13 (30 सितम्बर) तक
अमृत सिद्धि योग – 23:18 से 06:13 (30 सितम्बर) तक
श्राद्ध पक्ष आज से 16 दिन तक पितरों का तर्पण:
व्रत पर्व – पूर्णिमा व प्रतिपदा का श्राद्ध
द्वितीया श्राद्ध 30 सितंबर शनिवार
तृतीया श्राद्ध 1 अक्टूबर रविवार
चतुर्थी श्राद्ध 2 अक्टूबर सोमवार, भरणी श्राद्ध
पञ्चमी श्राद्ध 3 अक्टूबर मंगलवार
षष्ठी श्राद्ध 4 अक्टूबर बुधवार
सप्तमी श्रद्धा 5 अक्टूबर गुरुवार
अष्टमी श्रद्धा 6 अक्टूबर शुक्रवार
नवमी श्राद्ध 7 अक्टूबर शनिवार’ सौभाग्यवती श्राद्ध
दशमी श्राद्ध 8 अक्टूबर रविवार
एकादशी श्राद्ध 9 अक्टूबर सोमवार
एकादशी व्रत 10 अक्टूबर मंगलवार
द्वादशी श्रद्धा 11 अक्टूबर बुधवार, सन्यासियों का श्राद्ध
त्रयोदशी श्राद्ध 12 अक्टूबर गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध 13 अक्टूबर शुक्रवार, अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध
सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या
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श्राद्ध पक्ष में ये करें ये न करें
💥 विशेष:- (श्राद्ध पक्ष) पूर्णिमा को स्त्री सहवास तथा तिल किसी भी रूप में खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खण्ड 27.29-34)
👉शुक्रवार को शाम के समय शुरू की गई यात्रा शुभ फलदाई होती है। इस दिन दूध व दूध से बने पदार्थ खाकर यात्रा करनी चाहिए। इससे दिशा शूल का दोष कम होता है।
👉सर्वदा श्राद्ध के प्रारम्भ, अंत तथा पिण्डदान के समय सावधानचित्त होकर तीन-तीन बार अमृत मंत्र का पाठ करना चाहिए। इससे पितृगण शीघ्र वहाँ आ जाते हैं और राक्षसगण भाग जाते हैं।
वायुपुराण के अनुसार अमृत मंत्र :
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव भवन्त्युत।।
👉“समस्त देवताओं, पितरों, महायोगिनियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं। ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं।” (श्राद्ध पक्ष)
👉स्कन्दपुराण तथा अग्निपुराण में “भवन्त्युत” के स्थान पर “नमो नमः” का प्रयोग हुआ है।
👉श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम:
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श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्म पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।
श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आपके कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं।
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा।
जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं। कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है। (श्राद्ध पक्ष)
पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें।
पूनम गौड़ से ज्योतिषीय सलाह लेने के लिए 8826026945 पर व्हाट्सएप्प करें।